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देहरादून: आतंकवाद निरोधी बैठक में विदेश मंत्री ने एक बार फिर आतंकवाद के वैश्विक खतरे को दुनिया के सामने लाया है। बैठक में उन्होंने कहा कि आतंकवाद का खतरा न सिर्फ एशिया और अफ्रीका को है बल्कि पूरे विश्व को है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा उठाए गए कई कदमों के बावजूद आतंकवाद मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गया है।
दिल्ली में आतंकवाद विरोधी समिति की विशेष बैठक को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि पिछले दो दशकों में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिससे आतंकवाद को कुछ हद तक रोकने में कामयाबी मिली है।
जयशंकर ने पाक का नाम लिए बिना ही उसपर निशाना साधते हुए कहा कि कई देश में तो आतंकवाद एक वित्त पोषित उद्यम बन गया था अब उनकी असलियत सबके सामने आ रही है।
आतंकियों का टूलकिट बन रहा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म
जयशंकर ने कहा कि समाज को अस्थिर करने के उद्देश्य से प्रचार, कट्टरता और साजिश के सिद्धांतों को फैलाने के लिए इंटरनेट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म आतंकवादियों और आतंकवादी समूहों के टूलकिट में शक्तिशाली उपकरण बन गए हैं।
उन्होंने आगे कहा कि दुनिया भर की सरकारों के लिए अब यह भी एक बड़ा संकट बनता जा रहा है। उभरती प्रौद्योगिकियों के नाकारात्मक पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए मंत्री ने कहा कि वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क, एन्क्रिप्टेड मैसेज और ब्लॉकचेन जैसी तकनीकों ने भी सरकारों और नियामक निकायों के लिए नई चुनौतियां खड़ी की हैं।
आतंकवाद के खतरे को रोकने के लिए 5 लाख डॉलर का योगदान करेगा भारत
जयशंकर ने भारत में आतंकवाद के खतरे को रोकने और उसका मुकाबला करने में सदस्य देशों को क्षमता-निर्माण सहायता प्रदान करने के लिए इस वर्ष संयुक्त राष्ट्र ट्रस्ट फंड फॉर काउंटर टेररिज्म में 5 लाख डॉलर का योगदान देने की घोषणा की हैं।
बता दें कि भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की दो दिवसीय आतंकवाद विरोधी बैठक की मेजबानी कर रहा है। दिल्ली में चल रही बैठक भारत की आतंकवाद निरोधी समिति की अध्यक्षता में हो रही है।