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कार्यसमिति की बैठक में प्रदेशभर से पदाधिकारी हुए शामिल

लोकसभा चुनाव के दौरान विपक्ष के तेवर, आरोपों का असर भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति में भी नजर आया। ज्यादातर नेताओं का फोकस इस बात पर था कि विपक्ष की हर गतिविधि पर नजर रखें ताकि कोई भी वोटर इधर से उधर न जा पाए।

सोमवार को कार्यसमिति की बैठक में प्रदेशभर से पदाधिकारी शामिल हुए। इन पदाधिकारियों के बीच हुए मंथन में विपक्ष की बीते दिनों की गतिविधियां छाई रहीं। नेताओं का फोकस इस बात पर था कि किस तरह वह विपक्ष के आरोपों का झूठ बेनकाब किया जाए। फिर चाहे संविधान में बदलाव का आरोप हो या आरक्षण खत्म करने का दावा।

खटाखट 8500 रुपये देने का वादा हो या फिर रोजगार देने का संकल्प। केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने जहां विपक्ष के झूठ की हकीकत जनता के बीच ले जाने का आह्वान किया तो उन्होंने विपक्ष की गतिविधियों पर नजर रखते हुए उनके आरोपों से ही शब्द पकड़कर मतदाताओं को जागरूक करने की बात कही।

प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम ने भी विपक्ष पर लगातार झूठ बोलने के कारण हरियाणा के चुनाव में इसके असर की हकीकत मंच से स्वीकार की। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य में एक बड़ा तबका ऐसा है जो लगातार भ्रम, झूठ, अफवाह फैलाने की साजिश में लगा रहता है।

मतदाताओं को भी जागरूक करने का आह्वान
चाहे यात्रा के पंजीकरण की बात हो, यात्रा मार्ग को लेकर भ्रम फैलाने की साजिश हो, जातिवाद, क्षेत्रवाद, नस्लवाद को संरक्षण देने की बात हो या धार्मिक स्थलों एवं परंपराओं पर झूठा विवाद खड़ा करने के कुत्सित प्रयास हों। उन्होंने पदाधिकारियों को ऐसे झूठ से सतर्क रहते हुए मतदाताओं को भी जागरूक करने का आह्वान किया।
प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने भी स्पष्ट किया कि भाजपा राज्य में अराजक, भ्रष्टाचारी, देश और सनातन धर्म विरोधी ताकतों को किसी कीमत पर सफल नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा से अयोध्या के बाद बदरीनाथ सीट छिन जाने की कांग्रेस की अफवाह है जबकि सच्चाई ये है कि फैजाबाद लोकसभा के अंतर्गत अयोध्या विधानसभा में हम जीते हैं। बदरीनाथ सीट पर कांग्रेस पहले से ही जीती हुई है।
नए सदस्य बनाने का संकल्प
कार्यसमिति में एक ओर जहां लगातार सक्रियता पर जोर दिया गया तो वहीं नए सदस्य बनाने का भी आह्वान किया गया। इसके लिए भाजपा सदस्यता अभियान शुरू करने जा रही है। उपचुनाव में मिली हार के साथ ही एकजुटता कायम रखने के लिए सभी पदाधिकारियों से अलग-अलग बात करने के बजाए सुझाव पेटिका में सबकी शिकायतें, सुझाव मांगे गए।

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